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मोदी सरकार ने व्यापक सुधारों से बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया: सीतारमण

News Desk by News Desk
May 31, 2024
in व्यापार
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मोदी सरकार ने व्यापक सुधारों से बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया: सीतारमण
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नयी दिल्ली 31 मई (कड़वा सत्य) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र के तीन लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज करने का हवाला देते हुये शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व के कारण बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव आया जबकि वंशवादी दलों के प्रभुत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने बैंकों का इस्तेमाल अपने ‘परिवार कल्याण’ के लिए किया। इसके विपरीत, हमारी सरकार ने ‘जन कल्याण’ के लिए बैंकों का लाभ उठाया है और हमारी सरकार ने व्यापक और दीर्घकालिक सुधारों के माध्यम से बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया।
श्रीमती सीतारमण ने यहां एक्स पर एक के बाद एक कुल चार पोस्ट कर बैंकिंग क्षेत्र के बारे में मोदी सरकार द्वारा किये गये कार्याें का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। हाल ही में भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने 3 लाख करोड़ रुपये के पार अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ दर्ज करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह 2014 से पहले की स्थिति के बिल्कुल विपरीत है, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र को खराब ऋणों, निहित स्वार्थों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के दलदल में बदल दिया था। एनपीए संकट के ‘बीज’ कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौर में ‘फोन बैंकिंग’ के ज़रिए बोए गए थे, जब संप्रग नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के दबाव में अयोग्य व्यवसायों को ऋण दिए गए थे। संप्रग के शासन में बैंकों से ऋण प्राप्त करना अक्सर एक ठोस व्यवसाय प्रस्ताव के बजाय शक्तिशाली संबंधों पर निर्भर करता था। बैंकों को इन ऋणों को स्वीकृत करने से पहले उचित परिश्रम और जोखिम मूल्यांकन की उपेक्षा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) और संस्थागत भ्रष्टाचार में भारी वृद्धि हुई। कई बैंकों ने अपने खराब ऋणों को ‘एवरग्रीनिंग’ या पुनर्गठन करके छिपाया और रिपोर्ट करने से परहेज किया।
उन्होंने कहा “ हमारी सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा संपदा गुणवत्ता समीक्षा जैसे कई उपायों ने एनपीए के छिपे हुए पहाड़ों का खुलासा किया और उन्हें छिपाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अकाउंटिंग तरकीबों को खत्म कर दिया जबकि कांग्रेस के समय में बेपरवाह और अविवेकपूर्ण तरीके से दिए गए ऋणों ने ‘ट्विन बैलेंस शीट’ की शर्मनाक विरासत को जन्म दिया, जो हमें 2014 में विरासत में मिली। इस समस्या ने देश को विकास के लिए जरूरी ऋण प्रवाह से वंचित कर दिया। बैंक नए उधारकर्ताओं, खासकर एमएसएमई को ऋण देने में अनिच्छुक हो गए, जो आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की रीढ़ हैं। ऋण वृद्धि एक दशक के निचले स्तर पर धीमी हो गई। बैंकों को उच्च प्रावधान के कारण भारी नुकसान और पूंजी का क्षरण भी झेलना पड़ा।”
उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा 2014 से पहले दिए गए ऋणों के लिए अपने एनपीए का पारदर्शी रूप से खुलासा करने के बाद, वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 14.6 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक के दो पूर्व गवर्नरों ने संप्रग शासन द्वारा छोड़ी गई व्यवस्था में गिरावट के स्तर को खुले तौर पर उजागर किया है। उन्होंने कहा कि राहुलगांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भाग लेने वाले रघु  राजन ने संप्रग काल के दौरान एनपीए संकट को “अतार्किक उत्साह की ऐतिहासिक घटना” बताया। इसी तरह, पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि संप्रग के तहत पीएसबी के कामकाज में “नौकरशाही की जड़ता और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण एक स्थायी कमी” थी।
उन्होंने कहा कि एनपीए संकट ने उन करोड़ों महत्वाकांक्षी भारतीयों के सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक ऋण को रोक दिया, जो स्टार्ट-अप स्थापित करना चाहते थे और छोटे व्यवसायों का विस्तार करना चाहते थे। संप्रग ने लुटियंस दिल्ली में वंशवाद और दोस्तों का पक्ष लिया, जबकि भारतीयों के एक बड़े हिस्से को मझधार में छोड़ दिया। जब मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला, तो ये दोस्त अभियोजन के डर से भाग गए। जो लोग अब बैंकों के राष्ट्रीयकरण का श्रेय ले रहे हैं, उन्होंने देश के गरीब और मध्यम वर्ग को दशकों तक बैंकिंग सुविधा से वंचित रखा, जबकि उनके नेता और सहयोगी भ्रष्टाचार की सीढ़ियाँ चढ़ते रहे।
श्रीमती सीतारमण ने कहा “ प्रधानमंत्री के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व के कारण बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव आया। हमारी सरकार ने व्यापक और दीर्घकालिक सुधारों के माध्यम से बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ 2015 की ‘ज्ञान संगम’ बैठक ने इन महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की। सरकार ने एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, समाधान और वसूली, पीएसबी को पुनर्पूंजीकृत करने और सुधारों की एक व्यापक 4 आर रणनीति लागू की। हमारे सुधारों ने क्रेडिट अनुशासन, तनाव की पहचान और समाधान, जिम्मेदार उधार और बेहतर शासन को संबोधित किया।”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बैंकों में राजनीतिक हस्तक्षेप को पेशेवर ईमानदारी और स्वतंत्रता के साथ बदल दिया। गैर-कार्यकारी अध्यक्षों और पूर्णकालिक निदेशकों के पारदर्शी चयन के लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) बनाया गया। मिशन इन्द्रधनुष, पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के लिए 3.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गयी। तेजी से वसूली के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) लाई गई। भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए 2018 का भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम बनाया गया। इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरफेसी अधिनियम में संशोधन किया गया। पिछले पांच वर्षों के दौरान, बैंकों ने सरफेसी के माध्यम से ​​1.51 लाख करोड़ रुपये वसूल किए हैं। ऋण वसूली न्यायाधिकरण का आर्थिक क्षेत्राधिकार 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया ताकि वह उच्च मूल्य के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सके, जिसके परिणामस्वरूप बैंकों के लिए अधिक वसूली हुई।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों ने कठोर वसूली के लिए तनावग्रस्त संपत्ति प्रबंधन वर्टिकल बनाए, प्रभावी निगरानी के लिए पूर्व और बाद की मंजूरी की भूमिकाओं को अलग किया। उच्च मूल्य के ऋणों में निगरानी की भूमिकाओं को मंजूरी देने वाली भूमिकाओं से अलग किया गया। 250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों की प्रभावी निगरानी के लिए विशेष निगरानी एजेंसियों को तैनात किया गया। समय पर और बेहतर वसूली सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन एंड-टू-एंड ओटीएस (वन-टाइम सेटलमेंट) प्लेटफॉर्म स्थापित किए गए। 500 करोड़ रुपये से अधिक की तनावग्रस्त संपत्तियों के समाधान के लिए 2021 में एनएआरसीएल की स्थापना की गई, जिससे बैंकों के लिए अधिक मूल्य प्राप्ति हुई। बैंकों के प्रबंधन में सुधार के लिए उन्नत पहुंच और सेवा उत्कृष्टता (ईएएसई) सुधारों के विभिन्न चरण शुरू किए गए हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि झूठ फैलाने की आदत वाला विपक्ष गलत दावा करता है कि उद्योगपतियों को दिए गए कर्ज को ‘माफ’ किया गया है। वित्त और अर्थव्यवस्था में ‘विशेषज्ञ’ होने का दावा करने के बावजूद, यह अफ़सोस की बात है कि विपक्षी नेता अभी भी राइट-ऑफ और माफ़ी के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘राइट-ऑफ’ के बाद, बैंक सक्रिय रूप से खराब ऋणों की वसूली करते हैं। और किसी भी उद्योगपति के लिए कोई ‘ऋण माफ़’ नहीं किया गया है। 2014 से 2023 के बीच बैंकों ने खराब ऋणों से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगभग 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की है, जिसके परिणामस्वरूप 64,920 करोड़ रुपये की अपराध आय जब्त की गई है। दिसंबर 2023 तक, 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति पीएसबी को वापस कर दी गई है। खराब ऋणों की वसूली में कोई ढील नहीं बरती गई है, खासकर बड़े डिफॉल्टरों से, और यह प्रक्रिया जारी है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में बैंकिंग क्षेत्र में एक तरह के ‘समुद्र मंथन’ ने ‘मंथन’ के दौरान अपेक्षित चुनौतियों के साथ-साथ सकारात्मक परिणाम भी दिए। तनाव की पहचान, तनावग्रस्त खातों के समाधान, पुनर्पूंजीकरण और बैंकों में सुधारों के लिए हमारी सरकार की नीतिगत प्रतिक्रिया के कारण, 2014 से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय सेहत और मजबूती में काफी सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा “ हमने बैंकों को ‘एनपीए से ग्रस्त दुःस्वप्न’ से ‘जन कल्याण के स्तंभ’ में बदल दिया है। ‘ट्विन बैलेंस शीट की समस्या’ से अब हमारे पास ‘ट्विन बैलेंस शीट एडवांटेज’ है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक कुल शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2014 में 36,270 करोड़ रुपये से लगभग 4 गुना अधिक है। मार्च 2024 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध एनपीए घटकर 0.76 प्रतिशत रह गया जो मार्च 2015 में 3.92 प्रतिशत था और मार्च 2018 में 7.97 प्रतिशत के शिखर पर था। मार्च 2024 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.47 प्रतिशत रह गया जो 2015 में 4.97 प्रतिशत था और मार्च 2018 में 14.58 प्रतिशत के शिखर पर था।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 24 में बैंक ऋण वृद्धि (गैर-खाद्य) 16प्रतिशत थी, जो पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक थी। बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार के बिना यह संभव नहीं होता। लचीलापन बढ़ा है, प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) 2015 में 46.04 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 92.99 प्रतिशत हो गया है। पूंजी पर्याप्तता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, सीआरएआर मार्च 2015 में 11.45 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 15.53 प्रतिशत हो गया है। क्रेडिट जोखिम के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि बैंक अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं और सभी बैंक प्रतिकूल तनाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं। सुधारों के कारण, पीएसबी की पूंजी (इक्विटी और बॉन्ड) जुटाने की क्षमता में सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2023-24 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बाजार से 4.34 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है। पहले आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत रखे गए बैंकों ने महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है, जिससे सभी पीसीए प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में कृषि ऋण 8.45 लाख करोड़ रुपये से 2.5 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 21.55 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना (केसीसी) ने 7.36 करोड़ से अधिक ऑपरेटिव केसीसी खातों के साथ किसानों को समय पर और परेशानी मुक्त ऋण प्रदान किया है। 2020 से, जमा बीमा कवरेज सीमा एक लाख से बढ़कर 5 लाख हो गई है। इसे आखिरी बार 1993 में 30,000 से बढ़ाकर एक लाख किया गया था। सितंबर 2023 तक, 97.93 प्रतिशत खाते और कुल कर योग्य जमा का 44.2 प्रतिशत डीआईसीजीसी के तहत पूरी तरह से संरक्षित हैं। वित्त वर्ष 2013-14 के अंत में, केवल 92.94 प्रतिशत खाते पूरी तरह से संरक्षित थे और 31.2 प्रतिशत कर योग्य जमा का बीमा किया गया था। एक मजबूत बैंकिंग क्षेत्र एक जहाज है जिस पर अर्थव्यवस्था चलती है। हम अपनी बैंकिंग प्रणाली को मजबूत और स्थिर करने के लिए निर्णायक कदम उठाना जारी रखेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि बैंक 2047 तक विकसित भारत के लिए भारत के विकास पथ का समर्थन करेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले, बैंकिंग की पहुँच बड़े पैमाने पर शहरों तक ही सीमित थी। आजादी के 68 साल बाद भी, 68 प्रतिशत से भी कम आबादी के पास बैंक खाते थे, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को कर्जदारों पर निर्भर रहना पड़ता था, जो ऊंची दरें वसूलते थे। यह श्री मोदी थे जिन्होंने बैंकिंग सेवाओं तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए जन धन और मुद्रा जैसी समावेशी योजनाएँ शुरू कीं। हमने वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में बैंकों को भागीदार माना है। 52 करोड़ से अधिक पीएम जन धन खाते हैं जिनमें 2.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं। 55 प्रतिशत से अधिक जन धन खाते महिलाओं के हैं और 66 प्रतिशत से अधिक ग् ीण क्षेत्रों में हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान, 20.64 करोड़ महिलाओं को सीधे उनके जन धन खातों में पैसा मिला। आज, भारत भर में लगभग सभी नागरिकों की 5 किलोमीटर दायरे में बैंकिंग टचपॉइंट तक पहुँच है। जैम ट्रिनिटी श्री मोदी की ‘गरीब कल्याण’ पहल की नींव बन गई है। पीएम सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) सालाना सिर्फ 20 रुपये के प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर प्रदान करती है। इसके 44 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं और 2,688 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया जा चुका है। पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) सालाना 436 रुपये के प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रदान करती है। इसके 20 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं और 15,671 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया जा चुका है। अटल पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को एक स्थिर पेंशन प्रदान करती है। इसके 6.5 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं। उद्यमिता, स्वरोजगार और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए ऋण तक पहुंच आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि बैंकों से औपचारिक ऋण तक पहुंच की कमी ने गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को उच्च ब्याज दरों पर उधार लेने के लिए मजबूर किया, जिससे वे गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंस गए। यह पीएम मुद्रा योजना के माध्यम से था कि बैंकों ने 10 लाख रुपये तक के गारंटी मुक्त ऋण की पेशकश शुरू की। श्री मोदी ने आश्वासन दिया कि गांरटी की कमी के कारण ऋण देने से इनकार नहीं किया जाएगा, क्योंकि वह इन ऋणों के लिए गारंटर के रूप में खड़े हैं। पीएम मुद्रा योजना के तहत, 48 करोड़ से अधिक लोगों को 28 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं, जिसमें 68 प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए हैं। लॉन्च के दौरान आलोचकों द्वारा दिखाई गई निराधार चिंताओं के बावजूद, मुद्रा के तहत एनपीए 3 प्रतिशत से नीचे है, जो योजना की सफलता को दर्शाता है। इसी तरह, शहरी स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के लिए पीएम स्वनिधि को लॉन्च किया गया स्टैंड-अप इंडिया योजना ने एससी/एसटी व्यक्तियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद की है, जिसके तहत 2.28 लाख से अधिक लाभार्थियों को 27,806 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं। पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की गई है। यह 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक की ऋण सहायता प्रदान करता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार औपचारिक बैंकिंग पहुँच का विस्तार करने के लिए समर्पित है। देश भर में कई ऋण आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 8 लाख लाभार्थियों को 22,000 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए। मोदी सरकार ने अंत्योदय के लोकाचार के अनुरूप ‘बैंक रहित लोगों को बैंकिंग’, ‘अनफंडेड लोगों को वित्तपोषित’ किया है। हम वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शेखर
कड़वा सत्य

Tags: banking sectorFinance Minister Nirmala SitharamanIndiaNew Delhirecorded a net profit ofतीन लाख करोड़ रुपयेनयी दिल्लीप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीबदलाव आयाबैंकिंग क्षेत्रभारतमजबूत और निर्णायक नेतृत्ववित्त मंत्री निर्मला सीतारमणशुद्ध लाभ दर्जहवाला देते कहा
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