नयी दिल्ली, 04 फरवरी (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने अवैध अप्रवासी घोषित किए गए विदेशी नागरिकों को तुरंत निर्वासित नहीं करने पर मंगलवार को असम सरकार को फटकार लगाई और उसे निर्देश दिया कि वह हिरासत में लिए गए 63 लोगों को उनके मूल देश में वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करे।
न्यायमूर्ति एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने राजूबाला की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा, “आप उन्हें अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रख सकते। एक बार जब वे विदेशी घोषित हो जाते हैं, तो उन्हें तुरंत निर्वासित कर दिया जाना चाहिए। आप उनकी नागरिकता की स्थिति जानते हैं। फिर आप उनका पता मिलने तक कैसे इंतजार कर सकते हैं? यह दूसरे देश को तय करना है कि उन्हें कहां जाना चाहिए।”
पीठ ने हिरासत में लिए गए उन लोगों को निर्वासित करने के मुद्दे पर असम सरकार से पूछा, “क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?”
शीर्ष अदालत ने कहा कि पते के बिना भी राज्य उन्हें निर्वासित कर सकता है। उन लोगों को देश की राजधानी में निर्वासित किया जा सकता है। पीठ ने आगे कहा, “मान लीजिए कि वह व्यक्ति पाकिस्तान से है और आप पाकिस्तान की राजधानी जानते हैं? तो आप उसे पाकिस्तान की राजधानी में भेज देते हैं।”
अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किया, “आप यह कहते हुए कि उनका विदेशी पता ज्ञात नहीं है, उन्हें यहां हिरासत में कैसे रख सकते हैं? आपने वह तारीख क्यों नहीं बताई, जिस दिन सत्यापन विदेश मंत्रालय को भेजा गया था।”
असम की ओर से पेश अधिवक्ता ने मामले में उचित हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा तो पीठ ने उनसे कहा, “हम आपको (असम सरकार) झूठी गवाही का नोटिस जारी करेंगे। एक राज्य सरकार के रूप में आपको अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठकर इसका समाधान निकालेंगे, क्योंकि यह मुद्दा राज्य का विषय नहीं है। असम के मुख्य सचिव मामले की सुनवाई के दौरान वर्चुअल रूप से मौजूद थे।
शीर्ष अदालत ने इस मामले से निपटने के तौर-तरीके स्पष्ट करने के लिए केंद्र सरकार को एक महीने का समय दिया।
शीर्ष अदालत ने असम सरकार को हिरासत केंद्रों में बेहतर स्थिति सुनिश्चित करने तथा हर पखवाड़े सुविधाओं का निरीक्षण करने के लिए एक समिति बनाने का भी आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हम असम को इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट करते हुए एक उचित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं। यदि राज्य सरकार को पता चलता है कि राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म दो महीने पहले भेजे गए हैं, तो राज्य तुरंत विदेश मंत्रालय को एक याद दिलाने वाला पत्र जारी करेगा। जैसे ही विदेश मंत्रालय को ये पत्र प्राप्त होगा, मंत्रालय राष्ट्रीयता स्थिति सत्यापन के आधार पर प्रभावी कार्रवाई करेगा।”
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कड़वा सत्य