चंडीगढ़ 17 जून (कड़वा सत्य) शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा चुनावों में देश भर में आंकड़ों में हेराफेरी और ईवीएम मशीनों को हैक करने के आरोपों की उच्चतम न्यायिक स्तर पर स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की।
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों में भारी गड़बड़ी का हवाला देते हुये अकाली नेता ने इस बात पर जोर दिया कि वह सिर्फ पंजाब में इन गड़बडि़यों के रहस्यों का जिक्र नहीं कर रहे हैं। “इसलिए, किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं इसे शिअद या पंजाब के परिणामों के लिये स्पष्टीकरण के तौर पर पेश कर रहा हूं। मैं पूरे देश की बात कर रहा हूं।”
श्री बादल ने कहा कि वे 542 निर्वाचन क्षेत्रों में से 539 में ईवीएम के आंकड़ों में अंतर की खबरों से ‘अविश्वसनीय रूप से स्तब्ध’ हैं। लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा अमरेली (गुजरात) इस अंतर के रहस्य के एकमात्र अपवाद हैं।
उन्होंने बताया कि अंतर के आकार और अंतिम परिणाम के बीच एक रहस्यमय संबंध है। कई स्थानों पर चुनाव द्वारा जारी ईवीएम के पहले और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर 12 प्रतिशत से अधिक था – जो विजेताओं और हारने वालों के वोट शेयर के बीच के अंतर से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि अंतर जितना अधिक होगा, भाजपा की सीटों की संख्या उतनी ही अधिक होगी। उन्होंने कहा कि पहली और अंतिम गणना में ओडिशा में 12.54 प्रतिशत की रहस्यमय वृद्धि दिखाई गई, जहां भाजपा को 21 में से 20 सीटें मिलीं। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में यह वृद्धि 12.54 प्रतिशत थी, जहां एनडीए ने 25 में से 21 सीटें जीतीं। असम में, वृद्धि 9.50 प्रतिशत थी और एनडीए को 14 में से 11 सीटें मिलीं।
पंजाब का जिक्र करते हुये श्री बादल ने कहा कि अकेले ईवीएम वोटों में चुनाव आयोग की पहली और अंतिम गणना में 6.94 प्रतिशत का अंतर था। संयोग से, राज्य में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 18.56 प्रतिशत हो गया। यह ध्यान दिया जा सकता है कि यह अंतर केवल ईवीएम वोटों के पहले और अंतिम आंकड़ों के बीच के अंतर को संदर्भित करता है, और वोटों को संदर्भित नहीं करता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चुनाव आयोग ने 25 मई को उच्चतम न्यायाकलय के समक्ष दावा किया था कि ईवीएम की गिनती में कोई बदलाव नहीं हो सकता क्योंकि मशीनें फुलप्रूफ हैं।
श्री बादल ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनाव आयोग के इस दावे को भी ‘अजीब और अविश्वसनीय’ करार दिया कि उसने वोट प्रतिशत के आंकड़े जारी किये थे, लेकिन इतने कम समय में वास्तविक संख्या निर्धारित करना संभव नहीं था। अकाली नेता ने पूछा, ‘क्या वास्तविक संख्या जाने बिना प्रतिशत निर्धारित करना मानवीय रूप से संभव है? आप संख्या जाने बिना प्रतिशत कैसे तय कर सकते हैं? क्या उन्होंने कोई नया गणित इजाद किया है?’। उन्होंने कहा कि कथित चुनावी धोखाधड़ी से पर्दा उठाने के लिए किसी विदेशी की आवश्यकता नहीं है। “चुनाव आयोग के आंकड़ों में विरोधाभास और उच्चतम न्यायालय के समक्ष उसका खुद का दावा कि वह पांच से छह दिनों से कम समय में अंतिम आंकड़ों को सत्यापित नहीं कर सकता, यह सब बातें रहस्य को उजागर करने के लिये काफी हैं। “अगर चुनाव आयोग को अंतिम आंकड़ों को सत्यापित करने में वाकई इतना समय लगता है, तो वह मतदान समाप्त होने के 48 घंटे बाद ही अंतिम दौर के वोटों की गिनती और परिणाम कैसे घोषित कर सकता है। यहां कुछ गंभीर गड़बड़ चल रही है,”
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यह घटनाक्रम सच है, तो यह हमारे देश में लोकतंत्र के लिए सबसे गंभीर और खतरनाक है। अगर लोगों के वोट बदले जा सकते हैं और हारने वालों को विजेता दिखाया जा सकता है, तो देश की नियति ऐसे हाथों में चली जायेगी, जिन पर लोगों को भरोसा नहीं है। तब लोकतंत्र तानाशाही से भी बदतर एक धोखा बन जाता है।
ठाकुर.श्रवण
कड़वा सत्य