नयी दिल्ली, 30 अगस्त (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का साक्षात्कार करने से संबंधित एक मामले में एक निजी टीवी चैनल और उसके पत्रकार पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का शुक्रवार को निर्देश देकर उन्हें राहत दी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ,न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एबीपी न्यूज नेटवर्क द्वारा दायर याचिका पर कहा कि यह हो सकता है कि पत्रकार ने जेल मैनुअल का उल्लंघन हो, लेकिन गंभीर मामला है कि यह (साक्षात्कार) जेल में हो सकता है।
पीठ ने टीवी चैनल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद कहा, “अगले आदेश तक संबंधित पत्रकार की गिरफ्तारी न की जाए।”
हालांकि, अदालत ने उस पत्रकार को इस मामले में एसआईटी द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।
श्री रोहतगी ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश की वैधता पर सवाल उठाया, जिसमें टीवी चैनल द्वारा लिए गए साक्षात्कार को जांच के दायरे में लाया गया था। उन्होंने कहा कि इससे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “यह खोजी पत्रकारिता है और कुछ नहीं। पत्रकार को पता था कि जेल के अंदर फोन आसानी से उपलब्ध हैं। उसने साक्षात्कार के लिए अपने सूत्रों का इस्तेमाल किया।”
पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर विचार कर रहा है कि ऐसे कैदियों को ऐसी सुविधाएं कैसे मिलती हैं। किसी ने साक्षात्कार की ओर ध्यान दिलाया, इसलिए उसने (अदालत) मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा, “तथ्य यह है कि आपने जेल में प्रवेश किया और टीवी चैनल पर साक्षात्कार प्रसारित किया। आपने किसकी अनुमति ली? हम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के व्यापक बिंदु को देख रहे हैं, लेकिन कारावास के कारण (साक्षात्कार) प्रतिबंध हैं।”
अधिवक्ता ने कहा कि अगर इस मामले की जांच करनी ही है तो इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया, “पंजाब पुलिस इस मामले की जांच कैसे कर सकती है।”
श्री रोहतगी ने कहा कि पत्रकार को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन उन्हें डर है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दो साक्षात्कार हुए हैं, एक राजस्थान जेल में और दूसरा पंजाब जेल में।
शीर्ष अदालत ने जेल में बंद बिश्नोई की याचिका पर विचार करने से 30 जुलाई, 2024 को इनकार कर दिया था, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और जेल में रहते हुए एक टीवी चैनल को दिए गए उसके साक्षात्कार पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
बिश्नोई 2022 में गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के आरोपियों में से एक है। मार्च 2023 में निजी समाचार चैनल ने बिश्नोई के दो साक्षात्कार प्रसारित किए थे। दिसंबर 2023 में उच्च न्यायालय ने बिश्नोई के साक्षात्कार मामले में मुकदमा दर्ज करने और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रबोध कुमार की अध्यक्षता में एक एसआईटी द्वारा जांच करने का आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय ने जेल परिसर में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग से संबंधित मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी।
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कड़वा सत्य