जयपुर 16 जनवरी (कड़वा सत्य) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि भारत आज राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से इतना बदल गया है कि वह अब विश्व में किसी देश का मोहताज नहीं रहा और अर्थव्यवस्था में दुनिया की पांचवीं महाशक्ति होना कोई छोटा काम नहीं है।
श्री धनखड़ ने मंगलवार को यहां विधानसभा में राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित एकदिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत का दुनियां में नाम हो गया हैं और वह जिस मुकाम पर पहुंचा हैं, इन सब का निर्माण सदन करती है। इस बहुत बड़े हवन में जनप्रतिनिधि, नेतृत्व , नीति और आम आदमी का योगदान है। उन्होंने कहा कि आपके सामने चुनौती ज्यादा है क्योंकि जिस गति से भारत आगे बढ़ रहा है, दुनिया अचंभित है, दुनिया सोच नहीं पाई की क्या भारत में कभी ऐसा हो सकता था। कभी सोचा नहीं कि भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट विकास स्तर का होगा। यह हर भारतीय के खून और पसीने का नतीजा है। नीतियाँ और समर्पण की भावना से है।
उन्होंने कहा कि किसी भी विकास की गंगा की शुरुआत विधायिका से होती है। विधायिका का सबसे प्रमुख कर्तव्य है कि विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों को सही दृष्टिकोण में रखें। कार्यपालिका को सही रास्ता दिखाने में एवं कार्यपालिका नियम के अनुसार काम करें, यह सदन का कर्तव्य है। अगर सरकार को आइना दिखाया जाएगा तो सरकार के लिए बहुत लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि सदन के अंदर जो कार्यवाही की जाती हैं, उसका असर प्रांत में नहीं, प्रांत के बाहर भी पड़ता है।
उन्होंने संविधान सभा का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे पहले तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि संविधान सभा में कार्यवाही कैसे हुई। करीब तीन साल तक संविधान सभा चली। कई सत्र हुए। उनके सामने बहुत बड़ी चुनौतियां थी। मुश्किल विषय थे। एक मत बनाना मुश्किल था। उन लोगों ने विजयपुरण तरीके से जो काम किया वह आपका आदर्श होना चाहिए। तीन साल के काल में एक बार भी व्यवधान नहीं हुआ, एक बार भी कोई प्ले कार्ड नहीं दिखाया, एक बार भी कोई वेल में नहीं आया। तो संकेत साफ है, सरकार सत्ता में है पर सदन को चलाना और राज्य को दिशा देना पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। पक्ष सुझाव दे सकता है पर प्रतिपक्ष जो सुझाव दे उन पर ज़यादा गहराई से चिंतन किया जाना चाहिए।
जोरा