कभी गलतफहमियां अच्छी होती हैं
नक़ाब उतार फिर चेहरे दिखा देती हैं
जिंदगी यहां ख़ुद एक ग़लतफहमी होती है
सिर्फ जिंदा रहने के लिए जिंदगी होती हैबंटवारे होते हैं कहां यहां ग़लतफहमी से
बंटवारे से गलतफहमियां और भी होती हैंग़लतफहमी से सदा ग़लतफहमी होती है
जिंदगी शायद आज अधिक घिरी होती हैग़लतफहमी से ही राजनीति की रोटी चलती है
आसमां जमीं पे है हर बार ग़लतफहमी होती हैवो तारे तोड़ लाएगा पुरानी ग़लतफहमी होती है
बेहतर उससे,हर शख्स की ग़लतफहमी होती हैजहां में दुश्मन है दोस्त, दोस्त अब कैसा दुश्मन
ग़लतफहमी की जरूरत कभी पूरी नहीं होती है
हरेन्द्र प्रताप
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