हरेन्द्र प्रताप का विशेष लेख
श्रीनिवास तिवारी का रीवा अब राजन शुक्ला का शहर बन चुका है ! मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष का गढ़ अब उप मुख्यमंत्री का केंद्र बन रहा है ! अपराध के लिए कभी बदनाम रहा सफेद शेरों का शहर अब अपराधियों पर कहर ढा रहा है ! राजनीति का कभी खानदानी अखाड़ा रहा रीवा अब शिक्षा का नया नालंदा बनने की राह पर कदम बढ़ा रहा है !
नवंबर 2025 का महीना रीवा के लिए साहित्यिक, शैक्षणिक और राजनीतिक विकास की नई गाथा रच रहा है। नवंबर के प्रथम सप्ताह में शहर में बौद्धिक हलचल अधिक है। ए पी एस यानि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में पीएच. डी. में प्रवेश लेने के लिए मध्य प्रदेश के साथ – साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा सहित देश के अनेक राज्यों से विद्वान बनने के लिए लालायित विद्यार्थी नवंबर माह में रीवा में डेरा डाले हुए हैं। इससे यह साबित होता है कि रीवा शिक्षा के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का रीवा केंद्र भी शहर को राष्ट्रीय पहचान दिला रहा है।

इस बीच बिहार में हो रहे विधान चुनाव सभा का प्रभाव रीवा में भी दिखाई दे रहा है। रीवा का मीडिया जगत बिहार के चुनाव को प्रमुखता से कवर कर रहा है। बिहार में छह नवंबर को प्रथम चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। राष्ट्रीय दलों के साथ प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी की गूंज रीवा में भी सुनाई पड़ रही है। मध्य प्रदेश के चुनावी विशेषज्ञ बिहार के दोनों चरणों के मतदान पर गहरी नज़र रख रहे हैं। बिहार के चुनाव के परिणाम का प्रभाव पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कमोबेश दिखाई देता ही है। आम आदमी से लेकर खास आदमी तक इसे लेकर उत्साहित हैं।

रीवा में साहित्यिक हलचल तेज हो रही है। अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद् से लेकर अन्य छोटे – बड़े साहित्यिक – सांस्कृतिक केंद्र पहले से अधिक सक्रिय हैं। विद्यानिवास मिश्र से लेकर कमला प्रसाद तक की पीढ़ी अब नई पीढ़ी के लिए साहित्यिक सोपान तैयार कर रही है।

1997-1998 का रीवा शहर अब 2025-2026 में विकास की तेज गति को प्राप्त करने के लिए सजग दिख रहा है। स्वच्छता रेलवे स्टेशन से लेकर विश्वविद्यालय तक में पहले से बेहतर दिखाई दे रही है। हालांकि इस पर अभी बहुत मेहनत करने की जरूरत है। ट्रैफिक की बढ़ती रफ्तार शहर को और व्यवस्थित होने के लिए सचेत कर रही है। ऐतिहासिक धरोहर और इमारत शहर में शीघ्र कायाकल्प का इंतजार कर रहे हैं।
अनेक संग्रहालय और पुस्तकालय आधुनिक रूप प्राप्त करने की बाट जोह रहे हैं।

उद्योग और विशेष कर लघु उद्योग का आधुनिक रूप सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यानि एम एस एम ई आज के विकासशील युग में रीवा समेत सतना, सीधी और शहडोल की भी किस्मत बदल सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश शासन, उद्योग एसोसिएशन, शैक्षणिक केंद्र और स्थानीय प्रशासन मिल कर क्षेत्र को औद्योगिक पहचान भी शीघ्र दिला सकते हैं। इस दिशा में सबसे पहले जनप्रतिनिधि, जिला उद्योग केन्द्र और एम एस एम ई – डी एफ ओ को जागने की आवश्यकता है तथा युवाओं को नये आइडिया तथा स्टार्ट अप को संभागीय परिधि में विकसित करने के लिए प्रभावी प्रोत्साहन की तत्काल जरूरत है। शहर के साथ रीवा के जिला यानि ग्रामीण अंचलों में भी बदलाव की बयार बहाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं को साकार करने की आवश्यकता है।







