UNSC: गाजा में अमेरिका के शांति प्लान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सोमवार को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही गाजा में अंतरराष्टीरय सुरक्षा बलों की तैनाती की भी रास्ता साफ हो गया है. यूएनएससी ने इस मंजूरी के साथ ही गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती और भविष्य में फिलिस्तीनी राज्य की संभावित राह का भी जिक्र किया.
वहीं दूसरी ओर रूस और चीन ने इसके हुए मतदान में भाग नहीं लिया. 13 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया. अमेरिका मान रहा था कि इसके लिए रूस अपना वीटो इस्तेमाल नहीं करेगा. वाशिंगटन के 20 सूत्रीय फ्रेमवर्क में गाजा में जारी संघर्ष को रोकने के लिए ये पहली व्यापक अंतरराष्ट्रीय पहल मानी जा रही है.
बता दें कि पिछले दो साल से चल रहे हमास और इजरायल की जंग के बाद ये प्रस्ताव गाजा में जारी अल्प युद्धविराम को भी मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. बता दें कि इससे पहले कई अरब और मुस्लिम देशों ने भी संकेत दे दिया था कि वे गाजा में सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय बल भेजने में तभी शामिल होंगे, जब सुरक्षा परिषद इस पर औपचारिक रूप से मुहर लगा देगा.
गाजा में शांति स्थापित करने के लिए अमेरिका के प्रस्ताव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 बिंदुओं की योजना बनाई थी. जिसके तहत ‘बोर्ड ऑफ पीस’ नाम की एक अस्थायी प्राधिकरण का गठन किया जाएगा. जिसकी अगुवाई खुद राष्ट्रपति ट्रंप करेंगे. यह बोर्ड और सुरक्षा बल गाजा की सीमाओं की निगरानी के साथ सुरक्षा व्यवस्था और पूरे इलाके में हथियारमुक्त जैसे व्यापक काम संभालेंगे. जिसके लिए सबकी अनुमति 2027 के आखिर तक लागू रहेगी.
अमेरिका के इन प्रस्वातों पर मुहर लगने से इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू नाखुश नजर आए. साथ ही उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी भी जताई. नेतन्याहू ने कहा कि वह किसी भी तरह फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का विरोध करेंगे. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि यह कदम हमास को इनाम देने जैसा होगा और आगे चलकर इजरायल की सीमा पर एक और बड़ा हमास-नियंत्रित राज्य बन सकता है.
बता दें कि अमेरिका को प्रस्ताव पारित कराने में अरब और मुस्लिम देशों का भी सर्मथन मिला. कतर, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, जॉर्डन और तुर्किए ने भी एक संयुक्त बयान जारी किया. जिसमें इस प्रस्ताव को जल्दी अपनाने की अपील की गई.







