Digital Scam: भोपाल में साइबर ठगों ने एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर और उनके परिवार को दो दिनों तक मानसिक रूप से जकड़कर करोड़ों के वित्तीय घोटाले में फंसाने का झांसा दिया। खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले ठग ने पीड़ित दंपति को यह विश्वास दिला दिया कि वे एक टेरर-फाइनेंशियल फ्रॉड केस में आरोपी हैं। यही नहीं, उसने उन्हें घर में ही डिजिटल अरेस्ट जैसी स्थिति में रहने के लिए मजबूर कर दिया और लगातार दवाब बनाते हुए बड़ी रकम हड़प ली। यह वारदात 17से 19नवंबर के बीच हुई और एक बार फिर डिजिटल अरेस्ट गैंग की सक्रियता को उजागर करती है।
बावड़िया कलां स्थित शिव रॉयल कोर्ट में रहने वाली स्नेहलता देशमुख ने साइबर थाने में दर्ज शिकायत में बताया कि 17नवंबर की सुबह उनके पति दयाराम देशमुख—पूर्व बैंक ऑफ इंडिया मैनेजर—के फोन पर रणजीत कुमार नामक एक व्यक्ति का कॉल आया, जिसने स्वयं को पुलिस अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि दयाराम एक बड़े आतंकी वित्तीय घोटाले से जुड़े हैं और उनके नाम पर गिरफ्तारी वारंट जारी है। ठग ने परिवार को धमकाते हुए कहा कि इस मामले की जानकारी किसी को देने पर उन्हें जान से मारने की साजिश रची जाएगी। डर के माहौल में परिवार ने अपने आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स से लेकर FD की जानकारी तक साझा कर दी।
7 करोड़ के गबन का झांसा और टूटी FD
ठग ने उन्हें विश्वास दिलाया कि अली फौजी नाम का एक आतंकवादी 7करोड़ रुपये का गबन कर चुका है, जिसमें से 70लाख कथित रूप से देशमुख के अकाउंट से जुड़े हैं। गिरफ्तारी से बचाने के नाम पर उसने कहा कि परिवार अपनी सारी रकम उसके बताए खातों में जमा कर दे और अगले दिन पैसे लौटा दिए जाएंगे। इसी दबाव में स्नेहलता देशमुख ने 68.26लाख की FD तोड़ दी और 67.5लाख रुपये ठग द्वारा दिए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए।
जब ठग ने एक बार फिर अधिक रकम की मांग शुरू की तो स्नेहलता को शक हुआ। उन्होंने बेटे को पूरी बात बताई और साइबर हेल्पलाइन 1930पर तत्काल शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद परिवार को एहसास हुआ कि वे एक बड़ी साजिश का शिकार हो चुके हैं।
पुलिस ने बचाए 5.17लाख, बाकी रकम उड़ाई जा चुकी
साइबर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्रांजैक्शन पर होल्ड लगाने की कोशिश की, जिसमें लगभग 5.17 लाख रुपये सुरक्षित कर लिए गए। हालांकि, शेष करीब 62 लाख रुपये ठग पहले ही निकाल चुके थे। फिलहाल पुलिस साइबर गैंग की पहचान और उनकी लोकेशन का पता लगाने में जुटी है। यह मामला एक बार फिर चेतावनी देता है कि डिजिटल अरेस्ट और फर्जी पुलिस कॉल के जरिए होने वाली ठगी आज भी तेजी से बढ़ रही है।







