इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हिंदी पखवाड़ा समारोह, विशेषज्ञ बोले – अब पहले से ज़्यादा ज़रूरी है हिंदी की प्रासंगिकता
मंजरी की विशेष रिपोर्ट
प्रयागराज, 26 सितंबर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंतर्गत चौधरी महादेव प्रसाद महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में ” हिंदी में रोजगार और हिंदी पखवाड़े की प्रासंगिकता ” विषय पर मुख्य वक्ता हरेन्द्र प्रताप सिंह ने जहां एक ओर हिंदी में रोजगार की असीम संभावनाओं के बारे में विस्तार से बताया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में देवनागरी लिपि को लगातार मिल रही चुनौतियों के कारण हिंदी पखवाड़ा की प्रासंगिकता बढ़ गई है। उन्होंने देवनागरी लिपि के खतरे को लेकर व्हाट्सएप चैटिंग से लेकर बैंक तक में एटीएम ट्रांजेक्शन में हिंदी की उपेक्षा की ओर विद्यार्थियों एवं शिक्षकों का ध्यान आकृष्ट कराया।

इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष भदौरिया ने आग्रह किया कि हिंदी को सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर चलना चाहिए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित थे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. जी. गणेशन मिश्रा ने किया। इस अवसर पर हिंदी पखवाड़ा में आयोजित ऐसे विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। समारोह में सी एम पी कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह तथा राजभाषा प्रभारी डॉ. आभा त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
