• About us
  • Contact us
Tuesday, November 25, 2025
11 °c
New Delhi
21 ° Wed
21 ° Thu
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

विकसित भारत : भाग्य या भ्रम?

News Desk by News Desk
October 10, 2025
in संपादकीय
विकसित भारत : भाग्य या भ्रम?
Share on FacebookShare on Twitter

अमित पांडे: संपादक

क्या कोई देश, जो 2047 तक विश्वशक्ति बनने का सपना देख रहा है, वास्तव में “विकसित भारत” कहलाने योग्य है, जब उसके कक्षाओं में अब भी 1.42 करोड़ बच्चों के ड्रॉपआउट की गूंज सुनाई देती है, और परिवार शिक्षा की छिपी लागतों से कराह रहे हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “विकसित भारत” मिशन की शुरुआत जब उत्सवों और सेमिनारों के शोर में होती है—जहाँ एक दिन के कार्यक्रमों पर ₹4,000–₹5,000 और बहुदिवसीय आयोजनों पर ₹1.5 लाख तक खर्च होता है, और भुगतान के लिए छह माह तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है—तो सवाल उठता है: क्या यह राष्ट्रनिर्माण है या प्रचार-प्रसार का प्रोजेक्ट?


23 सितंबर 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सचिव संजय कुमार ने “विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025” की शुरुआत की—एक राष्ट्रीय नवाचार अभियान जिसमें एक करोड़ छात्रों को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी के स्तंभों पर आधारित प्रोटोटाइप बनाने का आह्वान किया गया। इसी के साथ यूजीसी की “कर्मयोगी बनो” व्याख्यान श्रृंखला शिक्षकों से कहती है—नौकरी नहीं, इसे तपस्या मानो।


महत्वाकांक्षा का महोत्सव, हकीकत की खामोशी
कागज़ों पर यह दृष्टि बेहद आकर्षक लगती है—एनईपी 2020 के सुधार, 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स, और साक्षरता सप्ताह में लाखों नए शिक्षार्थियों का पंजीकरण—सब कुछ 2047 के समृद्ध भारत की तस्वीर बनाते हैं। लेकिन ज़मीनी सच्चाई उस चमक के पीछे छिपी दरारें दिखाती है। उत्तराखंड ने 2024–25 में जनकल्याण योजनाओं के प्रचार पर ₹927 करोड़ खर्च किए, जबकि ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षक और संसाधन दोनों का अभाव है। हरियाणा की “चिराग” योजना गरीब बच्चों की निजी स्कूल फीस (₹700–₹1,100 प्रति बच्चा) भरती है, पर मॉडल सरकारी स्कूलों में भी शुल्क वसूला जा रहा है—यह शिक्षा के निजीकरण की मंजूरी नहीं तो और क्या है? उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बजट संकट का हवाला देकर 550 पर्वतीय स्कूल एनजीओ और कॉर्पोरेट्स को सौंप दिए, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने क्रमशः 25,126 और 29,410 सरकारी स्कूल बंद कर दिए—देशभर में लगभग 90,000 स्कूल एक दशक में समाप्त हो चुके हैं।


यूडीआईएसई+ 2024–25 के अनुसार, प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर में कमी आई है—तैयारी स्तर पर 3.7% से 2.3%, मध्य स्तर पर 5.2% से 3.5% और माध्यमिक स्तर पर 8.2%—फिर भी 1.42 करोड़ बच्चे हर साल स्कूल छोड़ देते हैं। शिक्षा पर 2025 का केंद्रीय बजट ₹1.28 लाख करोड़ का है—6.5% की वृद्धि के बावजूद यह जीडीपी का मात्र 4–4.6% है, जबकि एनईपी में 6% का लक्ष्य तय किया गया था।


शहरी परिवार औसतन ₹15,143 वार्षिक फीस पर खर्च करते हैं—जो ग्रामीण भारत के ₹3,979 से नौ गुना अधिक है। यही कारण है कि एक दशक में निजी स्कूलों में नामांकन 14% बढ़ा है और सरकारी स्कूलों में 8% की गिरावट आई है। शिक्षकों की संख्या बढ़ने से छात्र-शिक्षक अनुपात बेहतर हुआ है, परंतु 10–15 लाख पद अब भी रिक्त हैं।
विडंबना यह है कि जब “कर्मयोगी बनो” का नारा निष्काम कर्म की शिक्षा देता है, तब केंद्र सरकार के कर्मचारी 18 महीने तक महंगाई भत्ते की प्रतीक्षा के बाद 6 अक्टूबर 2025 को महज 3% बढ़ोतरी पाते हैं—जबकि मुद्रास्फीति उनकी आय को पहले ही खा चुकी होती है।


आंकड़ों से परे, इंसानी कहानियाँ
झारखंड की 14 वर्षीय प्रिया की कहानी इस भ्रम को उजागर करती है। प्रारंभिक शिक्षा में उत्कृष्ट रही प्रिया के स्कूल में आगे कोई विज्ञान प्रयोगशाला नहीं थी, और एक शिक्षक 60 बच्चों को संभाल रहा था। घर की आर्थिक मजबूरी ने उसे स्कूल छोड़ने पर मजबूर कर दिया। वह कहती है—“विकसित भारत शहर के बच्चों का सपना है।”
दूसरी ओर दिल्ली की झुग्गी का 16 वर्षीय आरव, “उल्लास साक्षरता सप्ताह” में शामिल हुआ, पर भीड़ और अंग्रेज़ी प्रधान सामग्री ने उसका उत्साह तोड़ दिया। वह अब सड़कों पर सामान बेचता है—उसकी व्यथा 1.42 करोड़ ड्रॉपआउट बच्चों के आँकड़े में खो जाती है।


इन बच्चों की कहानियाँ दिखाती हैं कि “विकसित भारत” के सपने और ग्रामीण भारत की वास्तविकता के बीच खाई कितनी चौड़ी है। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की लड़कियाँ औसत से 15% अधिक दर पर स्कूल छोड़ती हैं। वहीं केरल में एक मछुआरा बस्ती के स्कूल की छात्राओं ने अटल लैब में मछली ट्रैक करने वाले ड्रोन बनाए और राष्ट्रीय स्तर पर सराहना पाई—यह दिखाता है कि जब अवसर और संसाधन मिलते हैं तो क्षमता का चमत्कार संभव है।
फिर भी यूनेस्को की रिपोर्ट 2024–25 बताती है कि केवल 60% शिक्षकों को ही एनईपी-आधारित प्रशिक्षण मिला है, और 70% छात्र महामारी के बाद भी सीखने की खाई से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
नारा नहीं, नींव चाहिए


“विकसित भारत” की इमारत तब तक खड़ी नहीं हो सकती जब तक उसकी नींव—शिक्षा—मजबूत नहीं होती। केवल संगोष्ठियाँ, भाषण और विज्ञापन किसी राष्ट्र को शिक्षित नहीं बनाते। सरकार को सबसे पहले सार्वजनिक शिक्षा की गरिमा बहाल करनी होगी—रिक्त पद भरने होंगे, बजट बढ़ाना होगा, फीस का बोझ घटाना होगा और हर बच्चे तक स्कूल की पहुँच सुनिश्चित करनी होगी।
वरना “विकसित भारत” एक मिशन नहीं, बल्कि एक मार्केटिंग अभियान बनकर रह जाएगा—जहाँ विकास का जश्न मनाया जाता है, लेकिन उन बच्चों को भुला दिया जाता है जिनके कंधों पर भविष्य टिका है। जब तक यह प्रश्न मौन रहेगा, तब तक विकसित भारत एक भाग्य नहीं, भ्रम ही रहेगा।

Tags: Amit Pandey EditorialBharat@2047Developed India RealityEducation Crisis IndiaNEP 2020Public Education ReformSchool Dropout IndiaVikasit Bharat Mission
Previous Post

LPU के ‘वन इंडिया फेस्ट’ में केजरीवाल-मान की जोड़ी ने लूटा शो, भारत की सांस्कृतिक एकता का हुआ भव्य प्रदर्शन!

Next Post

भिलाई में गूंजा शौर्य का नगाड़ा! 13वीं राष्ट्रीय गतका चैंपियनशिप में दिखी सिख विरासत की वीरता

Related Posts

सभ्यता की नींव पर सौदे की दीवार
देश

सभ्यता की नींव पर सौदे की दीवार

October 11, 2025
Next Post
भिलाई में गूंजा शौर्य का नगाड़ा! 13वीं राष्ट्रीय गतका चैंपियनशिप में दिखी सिख विरासत की वीरता

भिलाई में गूंजा शौर्य का नगाड़ा! 13वीं राष्ट्रीय गतका चैंपियनशिप में दिखी सिख विरासत की वीरता

New Delhi, India
Tuesday, November 25, 2025
Fog
11 ° c
87%
5mh
25 c 17 c
Wed
25 c 17 c
Thu

ताजा खबर

बिहार में अकल्पनीय चुनाव परिणाम के 21 ठोस कारण

बिहार में अकल्पनीय चुनाव परिणाम के 21 ठोस कारण

November 24, 2025
Weather Report Today (24 नवंबर): उत्तर भारत में कंपकपाती ठंड, दक्षिण में भारी बारिश–चक्रवात की चेतावनी; IMD का अलर्ट जारी

Weather Report Today (24 नवंबर): उत्तर भारत में कंपकपाती ठंड, दक्षिण में भारी बारिश–चक्रवात की चेतावनी; IMD का अलर्ट जारी

November 24, 2025
Justice Surya Kant: आज भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ, जानें करियर, बड़े फैसले और कार्यकाल की डिटेल

Justice Surya Kant: आज भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ, जानें करियर, बड़े फैसले और कार्यकाल की डिटेल

November 24, 2025
भारतीय नौसेना में आज शामिल होगा ‘मूक शिकारी’, 80% स्वदेशी तकनीक के साथ बढ़ी समुद्री ताकत

भारतीय नौसेना में आज शामिल होगा ‘मूक शिकारी’, 80% स्वदेशी तकनीक के साथ बढ़ी समुद्री ताकत

November 24, 2025
Delhi Air Pollution: ग्रैप-3 के बीच सरकार की बड़ी सख्ती, प्राइवेट दफ्तरों में 50% स्टाफ पर रोक, WFH लागू

Delhi Air Pollution: ग्रैप-3 के बीच सरकार की बड़ी सख्ती, प्राइवेट दफ्तरों में 50% स्टाफ पर रोक, WFH लागू

November 24, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved