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स्टालिन का सवाल: जीएसटी सुधारों का श्रेय कौन ले रहा है?

News Desk by News Desk
September 23, 2025
in संपादकीय
स्टालिन का सवाल: जीएसटी सुधारों का श्रेय कौन ले रहा है?
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संपादक अमित पांडे

जीएसटी सुधारों की नई घोषणाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए “बचत उत्सव” बताकर पेश किया और यह दावा किया कि इससे भारतीय जनता को 2.5 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। लेकिन इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र इस राहत का पूरा श्रेय स्वयं ले रहा है, जबकि आधी राहत का बोझ वास्तव में राज्यों पर पड़ा है। यह आरोप केवल एक राज्य के मुखिया का बयान नहीं है, बल्कि भारतीय संघीय ढाँचे की उस खामोशी को उजागर करता है जहाँ सहयोग की भावना से ज्यादा राजनीतिक क्रेडिट लेने की प्रवृत्ति दिखती है।


स्टालिन ने कहा कि “50% राहत राज्यों के हिस्से से गई है और केंद्र ने इसे न तो स्वीकार किया और न ही इसकी सराहना की।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तमिलनाडु को समग्र शिक्षा जैसी योजनाओं के फंड केवल इसलिए नहीं दिए जा रहे क्योंकि राज्य ने “हिंदी थोपने” को नकार दिया है। यह बयान साफ़ तौर पर उस तनाव को सामने लाता है जो लंबे समय से द्रविड़ राजनीति और केंद्र सरकार के बीच रहा है। जीएसटी पर उनका यह हमला इसलिए भी अहम है क्योंकि यह सुधार दरअसल उसी मांग का हिस्सा है जिसे विपक्षी दल कई वर्षों से उठाते आ रहे थे। स्टालिन का कहना है कि अगर यह कदम आठ साल पहले उठाया गया होता तो देश के करोड़ों परिवार पहले ही लाखों करोड़ रुपये बचा चुके होते।
यहाँ सवाल केवल टैक्स स्लैब कम करने या महँगाई में राहत का नहीं है, बल्कि राजनीतिक नैरेटिव का है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब इसे “बचत उत्सव” कहकर पेश किया तो उसका संदेश यही था कि केंद्र सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए बड़ा त्याग किया है। लेकिन आँकड़े बताते हैं कि इस त्याग का आधा हिस्सा राज्यों ने वहन किया है। फिर भी केंद्र इस तथ्य को सार्वजनिक विमर्श में जगह नहीं देना चाहता।


नई व्यवस्था में अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं को 5% और 18% के स्लैब में रखा गया है, जबकि लक्ज़री और ‘सिन गुड्स’ पर 40% तक का कर लगा रहेगा। दवाइयों पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है और गंभीर बीमारियों के लिए जीवनरक्षक दवाइयों को टैक्स से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। निस्संदेह उपभोक्ताओं के लिए यह राहत है, खासकर उस समय जब महँगाई लगातार जनता की जेब पर बोझ डाल रही है। लेकिन यहाँ यह भी समझना ज़रूरी है कि राज्यों की राजस्व संरचना पहले ही जीएसटी लागू होने के बाद से संकट में रही है। जीएसटी परिषद ने राज्यों को पाँच साल तक क्षतिपूर्ति देने का वादा किया था, लेकिन वह अवधि पूरी हो जाने के बाद कई राज्यों ने बार-बार शिकायत की है कि उन्हें वास्तविक हिस्सेदारी नहीं मिल रही।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार उपभोक्ता को तत्काल राहत तो देगा लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से राज्यों की वित्तीय स्थिति और कमजोर हो सकती है। केंद्र अपनी नीतियों को जनहितकारी बताने के लिए आँकड़ों का सहारा ले रहा है, परंतु राजनीतिक विश्लेषक यह पूछ रहे हैं कि जब बचत का आधा बोझ राज्यों ने उठाया है तो प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उसका उल्लेख क्यों नहीं किया। इससे यह आभास होता है कि केंद्र अपनी छवि निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि संघीय ढाँचे की असल भावना में श्रेय और जिम्मेदारी दोनों साझा होने चाहिए।


स्टालिन का यह हमला इसलिए भी गूंजता है क्योंकि यह केवल वित्तीय नहीं बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक विमर्श से भी जुड़ जाता है। उन्होंने जब कहा कि “तमिलनाडु को हिंदी न मानने की सज़ा दी जा रही है,” तो यह बयान सीधे तौर पर संघीय ढाँचे के भीतर सांस्कृतिक विविधता और भाषायी पहचान के सवाल को उठाता है। दक्षिण भारत की राजनीति लंबे समय से हिंदी थोपने के विरोध पर टिकी रही है और अब जीएसटी के बहाने वही विमर्श एक नए रूप में सामने आया है।


प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में युवाओं, किसानों, महिलाओं, व्यापारियों और उद्यमियों सभी को इस “बचत उत्सव” का लाभार्थी बताया। लेकिन सवाल यह है कि जब आधा योगदान राज्यों से आया है, तो क्या उन्हें इस जश्न का साझेदार नहीं माना जाना चाहिए था? यदि केंद्र वास्तव में सहकारी संघवाद में विश्वास करता है तो इस सुधार को केंद्र-राज्य की साझी उपलब्धि के रूप में पेश करना ज़्यादा ईमानदार और लोकतांत्रिक होता।


जीएसटी सुधारों की सफलता या विफलता अब केवल टैक्स कलेक्शन पर नहीं बल्कि इस बात पर भी आँकी जाएगी कि क्या यह व्यवस्था केंद्र और राज्यों के बीच विश्वास को मज़बूत करती है या राजनीतिक अविश्वास को और गहरा करती है। स्टालिन का सवाल इस संदर्भ में महज़ आलोचना नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि लोकतंत्र में सहकारी संघवाद केवल संविधान की किताबों का शब्द न रह जाए।

Tags: Cooperative Federalism IndiaGST Council DecisionsGST Political Credit WarGST Reforms IndiaGST States BurdenHindi Imposition RowIndian Economy GST NewsMK Stalin GST AttackPM Modi GST ReliefTamil Nadu vs Centre
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